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परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है।
यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहाँ होती?
आँख हाथ से नहीं कह सकती, “मुझे तेरा प्रयोजन नहीं,” और न सिर पाँवों से कह सकता है, “मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं।”