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चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो।
मूर्ख छाती पर हाथ रखे रहता और अपना माँस खाता है।
फिर मैंने धरती पर यह भी व्यर्थ बात देखी।