अभिज्ञानशास्त्र 5:2

धन की निरर्थकता

अभिज्ञानशास्त्र 5:2

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बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्‍वर के सामने निकालना, क्योंकि परमेश्‍वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिए तेरे वचन थोड़े ही हों।