उपद्रवि (Upadravi) 23:10
तीन वार्षिक त्योहार
आसन्न आयतें
पिछली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 23:9
“परदेशी पर अंधेर न करना; तुम तो परदेशी के मन की बातें जानते हो, क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।
अगली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 23:11
परन्तु सातवें वर्ष में उसको पड़ती रहने देना और वैसा ही छोड़ देना, तो तेरे भाई-बन्धुओं में के दरिद्र लोग उससे खाने पाएँ, और जो कुछ उनसे भी बचे वह जंगली पशुओं के खाने के काम में आए। और अपनी दाख और जैतून की बारियों को भी ऐसे ही करना।