उपद्रवि (Upadravi) 29:32
पुजारियों का समर्पण
उपद्रवि (Upadravi) 29:32
तब हारून अपने पुत्रों समेत उस मेढ़े का माँस और टोकरी की रोटी, दोनों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खाए।
आसन्न आयतें
पिछली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 29:31
“फिर याजक के संस्कार का जो मेढ़ा होगा उसे लेकर उसका माँस किसी पवित्रस्थान में पकाना;
अगली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 29:33
जिन पदार्थों से उनका संस्कार और उन्हें पवित्र करने के लिये प्रायश्चित किया जाएगा उनको तो वे खाएँ, परन्तु पराए कुल का कोई उन्हें न खाने पाए, क्योंकि वे पवित्र होंगे।