उपद्रवि (Upadravi) 31:5
कुशल शिल्पकार.
उपद्रवि (Upadravi) 31:5
और जड़ने के लिये मणि काटने में, और लकड़ी पर नक्काशी का काम करे।
आसन्न आयतें
पिछली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 31:4
जिससे वह कारीगरी के कार्य बुद्धि से निकाल निकालकर सब भाँति की बनावट में, अर्थात् सोने, चाँदी, और पीतल में,
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उपद्रवि (Upadravi) 31:6
और सुन, मैं दान के गोत्रवाले अहीसामाक के पुत्र ओहोलीआब को उसके संग कर देता हूँ; वरन् जितने बुद्धिमान हैं उन सभी के हृदय में मैं बुद्धि देता हूँ, जिससे जितनी वस्तुओं की आज्ञा मैंने तुझे दी है उन सभी को वे बनाएँ;