यहूदियों के लिए पुस्तक 4

यीशु महान उच्च पुरोहित है

यह अध्याय विवेचित करता है कि कैसे यीशु महामहायाजक के रूप में सेवा करते हैं, सभी मानने वालों के लिए ईश्वर तक पहुंच प्रदान करते हैं। लेखक यह भी जोर देते हैं कि आराम और यीशु में विश्वास की महत्वता।
1 इसलिए जब कि उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक है, तो हमें डरना चाहिए; ऐसा ने हो, कि तुम में से कोई जन उससे वंचित रह जाए।
2क्योंकि हमें उन्हीं के समान सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुननेवालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा।
3 और हम जिन्होंने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं;
4 क्योंकि सातवें दिन के विषय में उसने कहीं ऐसा कहा है,
5और इस जगह फिर यह कहता है,
6 तो जब यह बात बाकी है कि कितने और हैं जो उस विश्राम में प्रवेश करें, और इस्राएलियों को, जिन्हें उसका सुसमाचार पहले सुनाया गया, उन्होंने आज्ञा न मानने के कारण उसमें प्रवेश न किया।
7तो फिर वह किसी विशेष दिन को ठहराकर इतने दिन के बाद दाऊद की पुस्तक में उसे ‘आज का दिन’ कहता है, जैसे पहले कहा गया,
8 और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश करा लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती।
9इसलिए जान लो कि परमेश्‍वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है।
10क्योंकि जिस ने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्‍वर के समान अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है।
11इसलिए हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उनके समान आज्ञा न मानकर गिर पड़े।
12 क्योंकि परमेश्‍वर का वचन जीवित, प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत तेज है, प्राण, आत्मा को, गाँठ-गाँठ, और गूदे-गूदे को अलग करके, आर-पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है।
13और सृष्टि की कोई वस्तु परमेश्‍वर से छिपी नहीं है वरन् जिसे हमें लेखा देना है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट हैं।
14 इसलिए, जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात् परमेश्‍वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें।
15क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुःखी न हो सके; वरन् वह सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तो भी निष्पाप निकला।
16इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट साहस बाँधकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।