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हाय, यह जाति पाप से कैसी भरी है! यह समाज अधर्म से कैसा लदा हुआ है!
बैल तो अपने मालिक को और गदहा अपने स्वामी की चरनी को पहचानता है,
तुम बलवा कर-करके क्यों अधिक मार खाना चाहते हो?