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उसने मेरे मार्ग को ऐसा रूंधा है कि मैं आगे चल नहीं सकता,
देखो, मैं उपद्रव! उपद्रव! यों चिल्लाता रहता हूँ, परन्तु कोई नहीं सुनता;
मेरा वैभव उसने हर लिया है,