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जब मैं कुशल का मार्ग जोहता था, तब विपत्ति आ पड़ी;
क्या मैं उसके लिये रोता नहीं था, जिसके दुर्दिन आते थे?
मेरी अन्तड़ियाँ निरन्तर उबलती रहती हैं और आराम नहीं पातीं;