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“हे गुरु, व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?”
और उनमें से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उससे पूछा,
उसने उससे कहा, “तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।