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जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ।
मैं दीन होना भी जानता हूँ और बढ़ना भी जानता हूँ; हर एक बात और सब दशाओं में मैंने तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
तो भी तुम ने भला किया कि मेरे क्लेश में मेरे सहभागी हुए।