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छल-कपट से प्राप्त रोटी मनुष्य को मीठी तो लगती है,
किसी अनजान के लिए जमानत देनेवाले के वस्त्र ले और पराए के प्रति जो उत्तरदायी हुआ है उससे बंधक की वस्तु ले रख।
सब कल्पनाएँ सम्मति ही से स्थिर होती हैं;