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क्योंकि धर्मी चाहे सात बार गिरे तो भी उठ खड़ा होता है;
तू दुष्ट के समान धर्मी के निवास को नष्ट करने के लिये घात में न बैठ;
जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो,