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टेढ़ी चाल चलनेवाले धनी मनुष्य से खराई से चलनेवाला निर्धन पुरुष ही उत्तम है।
बुरे लोग न्याय को नहीं समझ सकते,
जो व्यवस्था का पालन करता वह समझदार सुपूत होता है,