
भजन - Bhajan 111
उसकी महानता की प्रशंसा करो
प्रसंग: प्रार्थनाओं का एक सुंदर हिम्न, प्रभु की महिमा और वफादारी के लिए। मूर्तिमन ईश्वर के कामों की आश्चर्यजनकता की स्तुति करता है और हमें प्रभु का भय और सम्मान करने की याद दिलाता है।
1यहोवा की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में
2यहोवा के काम बड़े हैं,
3उसके काम वैभवशाली और ऐश्वर्यमय होते हैं,
4उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है;
5उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है;
6उसने अपनी प्रजा को जाति-जाति का भाग देने के लिये,
7सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं;
8वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे,
9उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है;
10बुद्धि का मूल यहोवा का भय है;