पूरा अध्याय पढ़ें
मेरी आँखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की
अपने दास का उपकार कर कि मैं जीवित रहूँ,
मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूँ;