
भजन - Bhajan 140
दुष्टता के विरुद्ध एक प्रार्थना
प्रसंग: प्रार्थना 140 एक महाराजा दाऊद की प्रार्थना है, जिसमें भगवान से बुराइयों की साजिशों से उसे बचाने की मांग की गई है। दाऊद के शत्रु निर्दयी, दुष्ट और छली हुए रूप में वर्णित हैं। वह स्वीकार करते हैं कि केवल भगवान ही उनके हमलों से उन्हें बचा सकते हैं और प्रभु की शक्ति और न्याय में शरण लेते हैं। प्रार्थना एक बोध के साथ समाप्त होती है, जिसमें भगवान की अंतिम विजय की प्राथना की गई है।
1हे यहोवा, मुझ को बुरे मनुष्य से बचा ले;
2क्योंकि उन्होंने मन में बुरी कल्पनाएँ की हैं;
3उनका बोलना साँप के काटने के समान है,
4हे यहोवा, मुझे दुष्ट के हाथों से बचा ले;
5घमण्डियों ने मेरे लिये फंदा और पासे लगाए,
6हे यहोवा, मैंने तुझ से कहा है कि तू मेरा परमेश्वर है;
7हे यहोवा प्रभु, हे मेरे सामर्थी उद्धारकर्ता,
8हे यहोवा, दुष्ट की इच्छा को पूरी न होने दे,
9मेरे घेरनेवालों के सिर पर उन्हीं का विचारा हुआ उत्पात पड़े!
10उन पर अंगारे डाले जाएँ!
11बकवादी पृथ्वी पर स्थिर नहीं होने का;
12हे यहोवा, मुझे निश्चय है कि तू दीन जन का
13निःसन्देह धर्मी तेरे नाम का धन्यवाद करने पाएँगे;