भजन - Bhajan 146

मेरी आत्मा, प्रभु की प्रशंसा करो!

प्रार्थना संहिता 146 का सारांश: प्रार्थना संहिता 146 भगवान की प्रशंसा और विश्वास का सुंदर अभिव्यक्ति है। प्रार्थनाकर्ता भगवान की महिमा और सर्व वस्तुओं पर उसकी शासनप्राधानता को स्वीकार करता है। वह उन लोगों की भलाई की हमेशा की प्रशंसा करता है जो उस पर विश्वास करते हैं और जो करुणा दिखाता है उन परिस्थितियों और जरूरतमंदों के प्रति। वह अपनी आत्मा को प्रेरित करता है कि वह सब कुछ भगवान पर विश्वास रखे, जो अकेले सच्ची सुरक्षा और संतोष प्रदान कर सकता है।
1यहोवा की स्तुति करो।
2मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूँगा;
3तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना,
4उसका भी प्राण निकलेगा, वह भी मिट्टी में मिल जाएगा;
5क्या ही धन्य वह है,
6वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र
7वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है;
8यहोवा अंधों को आँखें देता है।
9यहोवा परदेशियों की रक्षा करता है;
10हे सिय्योन, यहोवा सदा के लिये,