भजन - Bhajan 24

महानायक का राजा

प्रस्तावना: प्रस्तुत प्रस्तावना Psalm 24 में भगवान की सार्वभौमिकता का जश्न मनाया गया है और उससे जुड़ी पवित्रता की आवश्यकता, जिससे उसके सामने पहुंचा जा सके। मसीहीसुदास द्वारों और द्वारों को प्रेरित करते हैं कि वे अपने सिर ऊचा करें, ताकि महिमामय राजा प्रवेश कर सके। अध्याय अंत में ईश्वर के शाश्वत राज्य और उसे पवित्रता और श्रद्धा में पूजने का एक आह्वान समाप्त होता है।
1पृथ्वी और जो कुछ उसमें है यहोवा ही का है;
2क्योंकि उसी ने उसकी नींव समुद्रों के ऊपर दृढ़ करके रखी,
3यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है?
4जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है,
5वह यहोवा की ओर से आशीष पाएगा,
6ऐसे ही लोग उसके खोजी है,
7हे फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
8वह प्रतापी राजा कौन है?
9हे फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो
10वह प्रतापी राजा कौन है?