भजन - Bhajan 89

भगवान के अधूरे वादों के लिए शोक।

प्रसंग: प्रार्थना 89 एक विलाप है जिसमें प्रार्थक दाऊदी वंश के लिए भगवान की अपूर्ण वादों की शिकायत कर रहे हैं। प्रार्थक भगवान के दाऊद के साथ एक शाश्वत निर्धार की प्रतिज्ञा की विरोधिता से जूझ रहे हैं और वर्तमान स्थिति की अनावश्यकता और अपने देश का नुकसान को देख रहे हैं।
1मैं यहोवा की सारी करुणा के विषय सदा गाता रहूँगा;
2क्योंकि मैंने कहा, “तेरी करुणा सदा बनी रहेगी,
3तूने कहा, “मैंने अपने चुने हुए से वाचा बाँधी है,
4'मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा;
5हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत काम की,
6क्योंकि आकाशमण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा?
7परमेश्‍वर पवित्र लोगों की गोष्ठी में अत्यन्त प्रतिष्ठा के योग्य,
8हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा,
9समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है;
10तूने रहब को घात किए हुए के समान कुचल डाला,
11आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है;
12उत्तर और दक्षिण को तू ही ने सिरजा;
13तेरी भुजा बलवन्त है;
14तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है;
15क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहचानता है;
16वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं,
17क्योंकि तू उनके बल की शोभा है,
18क्योंकि हमारी ढाल यहोवा की ओर से है,
19एक समय तूने अपने भक्त को दर्शन देकर बातें की;
20मैंने अपने दास दाऊद को लेकर,
भजन - Bhajan 89:20 - मैंने अपने दास दाऊद को लेकर,
भजन - Bhajan 89:20 - मैंने अपने दास दाऊद को लेकर,
21मेरा हाथ उसके साथ बना रहेगा,
22शत्रु उसको तंग करने न पाएगा,
23मैं उसके शत्रुओं को उसके सामने से नाश करूँगा,
24परन्तु मेरी सच्चाई और करुणा उस पर बनी रहेंगी,
25मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे
26वह मुझे पुकारकर कहेगा, 'तू मेरा पिता है,
27फिर मैं उसको अपना पहलौठा,
28मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा,
29मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूँगा,
30यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़ें
31यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें,
32तो मैं उनके अपराध का दण्ड सोंटें से,
33परन्तु मैं अपनी करुणा उस पर से न हटाऊँगा,
34मैं अपनी वाचा न तोड़ूँगा,
35एक बार मैं अपनी पवित्रता की शपथ खा चुका हूँ;
36उसका वंश सर्वदा रहेगा,
37वह चन्द्रमा के समान,
38तो भी तूने अपने अभिषिक्त को छोड़ा और उसे तज दिया,
39तूने अपने दास के साथ की वाचा को त्याग दिया,
40तूने उसके सब बाड़ों को तोड़ डाला है,
41सब बटोही उसको लूट लेते हैं,
42तूने उसके विरोधियों को प्रबल किया;
43फिर तू उसकी तलवार की धार को मोड़ देता है,
44तूने उसका तेज हर लिया है,
45तूने उसकी जवानी को घटाया,
46हे यहोवा, तू कब तक लगातार मुँह फेरे रहेगा,
47मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूँ,
48कौन पुरुष सदा अमर रहेगा?
49हे प्रभु, तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही,
50हे प्रभु, अपने दासों की नामधराई की सुधि ले;
51तेरे उन शत्रुओं ने तो हे यहोवा,
52यहोवा सर्वदा धन्य रहेगा!