भजन - Bhajan 91
भगवान का संरक्षण
भजन 91 का सार : भजन 91 में परमेश्वर की सुरक्षा में विश्वास व्यक्त किया गया है। यह परमेश्वर की मौजूदगी में निवास करने और उस पर भरोसा करने से आने वाली सुरक्षा और सुरक्षा को उजागर करता है। प्रार्थक परमेश्वर को अपना आश्रय, किल्ला और ढांचा मानता है, जो उसे खतरे और हानि से बचाकर सुरक्षित करता है। इस अध्याय में विश्वासीयों को आश्वासन दिया जाता है कि अगर वे परमेश्वर पर विश्वास रखें तो कोई विपदा या महामारी उनके पास नहीं आएगी।
1जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे,

2मैं यहोवा के विषय कहूँगा, “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है;

3वह तो तुझे बहेलिये के जाल से,

4वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा,

5तू न रात के भय से डरेगा,

6न उस मरी से जो अंधेरे में फैलती है,

7तेरे निकट हजार,

8परन्तु तू अपनी आँखों की दृष्टि करेगा
9हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है।

10इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी,
11क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा,

12वे तुझको हाथों हाथ उठा लेंगे,

13तू सिंह और नाग को कुचलेगा,

14उसने जो मुझसे स्नेह किया है, इसलिए मैं उसको छुड़ाऊँगा;
15जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूँगा;
16मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूँगा,
