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जब तक दिन ठण्डा न हो, और छाया लम्बी होते-होते मिट न जाए,
तेरी दोनों छातियाँ मृग के दो जुड़वे बच्चों के तुल्य हैं,
हे मेरी प्रिय तू सर्वांग सुन्दरी है;