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हम सब मिलकर जहाज पर दो सौ छिहत्तर जन थे।
तब वे सब भी ढाढ़स बाँधकर भोजन करने लगे।
जब वे भोजन करके तृप्त हुए, तो गेहूँ को समुद्र में फेंककर जहाज हलका करने लगे।