द्वितीय विधान 28:1

आज्ञानुसार की आशीर्वाद और अनुशासन के लिए शाप

द्वितीय विधान 28:1

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“यदि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा की सब आज्ञाएँ, जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ, चौकसी से पूरी करने को चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।