द्वितीय विधान 28:63

आज्ञानुसार की आशीर्वाद और अनुशासन के लिए शाप

द्वितीय विधान 28:63

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और जैसे अब यहोवा को तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हारा नाश वरन् सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।