द्वितीय विधान 28:67

आज्ञानुसार की आशीर्वाद और अनुशासन के लिए शाप

द्वितीय विधान 28:67

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तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा, 'सांझ कब होगी!' और सांझ को आह मारकर कहेगा, 'भोर कब होगा!'