द्वितीय विधान 28:67
आज्ञानुसार की आशीर्वाद और अनुशासन के लिए शाप
द्वितीय विधान 28:67
तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा, 'सांझ कब होगी!' और सांझ को आह मारकर कहेगा, 'भोर कब होगा!'
आसन्न आयतें
पिछली आयत
द्वितीय विधान 28:66
और तुझको जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन-रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।
अगली आयत
द्वितीय विधान 28:68
और यहोवा तुझको नावों पर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैंने तुझसे कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहाँ तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।”