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'तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।
'तू चोरी न करना।
'तू न किसी की पत्नी का लालच करना, और न किसी के घर का लालच करना, न उसके खेत का, न उसके दास का, न उसकी दासी का, न उसके बैल या गदहे का, न उसकी किसी और वस्तु का लालच करना।'