अभिज्ञानशास्त्र 5:4

धन की निरर्थकता

अभिज्ञानशास्त्र 5:4

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जब तू परमेश्‍वर के लिये मन्नत माने, तब उसके पूरा करने में विलम्ब न करना; क्योंकि वह मूर्खों से प्रसन्‍न नहीं होता। जो मन्नत तूने मानी हो उसे पूरी करना।