उपद्रवि (Upadravi) 30:3
कांसा का बर्तन और धूप-चढ़ाव का अल्टार
उपद्रवि (Upadravi) 30:3
और वेदी के ऊपरवाले पल्ले और चारों ओर के बाजुओं और सींगों को शुद्ध सोने से मढ़ना, और इसके चारों ओर सोने की एक बाड़ बनाना।
आसन्न आयतें
पिछली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 30:2
उसकी लम्बाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ की हो, वह चौकोर हो, और उसकी ऊँचाई दो हाथ की हो, और उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएँ।
अगली आयत
उपद्रवि (Upadravi) 30:4
और इसकी बाड़ के नीचे इसके आमने-सामने के दोनों पल्लों पर सोने के दो-दो कड़े बनाकर इसके दोनों ओर लगाना, वे इसके उठाने के डंडों के खानों का काम देंगे।