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यह सब सुनते ही मेरा कलेजा काँप उठा,
तू अपने घोड़ों पर सवार होकर समुद्र से हाँ, जल-प्रलय से पार हो गया।
क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें,