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व्यर्थ अन्नबलि फिर मत लाओ; धूप से मुझे घृणा है। नये चाँद और विश्रामदिन का मानना,
“तुम जब अपने मुँह मुझे दिखाने के लिये आते हो,
तुम्हारे नये चाँदों और नियत पर्वों के मानने से मैं जी से बैर रखता हूँ;