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नगर उजाड़ ही उजाड़ रहेगा, और उसके फाटक तोड़कर नाश किए जाएँगे।
सड़कों में लोग दाखमधु के लिये चिल्लाएँगे; आनन्द मिट जाएगा: देश का सारा हर्ष जाता रहेगा।
क्योंकि पृथ्वी पर देश-देश के लोगों में ऐसा होगा जैसा कि जैतून के झाड़ने के समय, या दाख तोड़ने के बाद कोई-कोई फल रह जाते हैं।