यशायाह 30:5
भगवान की योजना में विश्वास
यशायाह 30:5
वे सब एक ऐसी जाति के कारण लज्जित होंगे जिससे उनका कुछ लाभ न होगा, जो सहायता और लाभ के बदले लज्जा और नामधराई का कारण होगी।”
आसन्न आयतें
पिछली आयत
यशायाह 30:4
उसके हाकिम सोअन में आए तो हैं और उसके दूत अब हानेस में पहुँचे हैं।
अगली आयत
यशायाह 30:6
दक्षिण देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपनी धन सम्पत्ति को जवान गदहों की पीठ पर, और अपने खजानों को ऊँटों के कूबड़ों पर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में होकर, जहाँ सिंह और सिंहनी, नाग और उड़नेवाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगों के पास जा रहे हैं जिनसे उनको लाभ न होगा।