यशायाह 40:21
आराम और पुनर्प्राप्ति का वचन
यशायाह 40:21
क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? क्या तुमको आरम्भ ही से नहीं बताया गया? क्या तुमने पृथ्वी की नींव पड़ने के समय ही से विचार नहीं किया?
आसन्न आयतें
पिछली आयत
यशायाह 40:20
जो कंगाल इतना अर्पण नहीं कर सकता, वह ऐसा वृक्ष चुन लेता है जो न घुने; तब एक निपुण कारीगर ढूँढ़कर मूरत खुदवाता और उसे ऐसा स्थिर कराता है कि वह हिल न सके।
अगली आयत
यशायाह 40:22
यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है; और पृथ्वी के रहनेवाले टिड्डी के तुल्य है; जो आकाश को मलमल के समान फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;