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ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा,
पर विश्वास से माँगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करनेवाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।