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क्या तू अब मुझे पुकारकर कहेगी, 'हे मेरे पिता, तू ही मेरी जवानी का साथी है?
इसी कारण वर्षा रोक दी गयी और पिछली बरसात नहीं होती; तो भी तेरा माथा वेश्या के समान है, तू लज्जित होना ही नहीं जानती।
क्या वह मन में सदा क्रोध रखे रहेगा? क्या वह उसको सदा बनाए रहेगा?' तूने ऐसा कहा तो है, परन्तु तूने बुरे काम प्रबलता के साथ किए हैं।”