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हम लोग तुम्हारी दृष्टि में क्यों पशु के तुल्य समझे जाते,
“तुम कब तक फंदे लगा-लगाकर वचन पकड़ते रहोगे?
हे अपने को क्रोध में फाड़नेवाले