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रात को मेरी हड्डियाँ मेरे अन्दर छिद जाती हैं
“और अब मैं शोकसागर में डूबा जाता हूँ;
मेरी बीमारी की बहुतायत से मेरे वस्त्र का रूप बदल गया है;