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मेरी अन्तड़ियाँ निरन्तर उबलती रहती हैं और आराम नहीं पातीं;
जब मैं कुशल का मार्ग जोहता था, तब विपत्ति आ पड़ी;
मैं शोक का पहरावा पहने हुए मानो बिना सूर्य की गर्मी के काला हो गया हूँ।