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ताकि वह पृथ्वी की छोरों को वश में करे,
“क्या तूने जीवन भर में कभी भोर को आज्ञा दी,
वह ऐसा बदलता है जैसा मोहर के नीचे चिकनी मिट्टी बदलती है,