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सारस, भाँति-भाँति के बगुले, टिटीहरी और चमगादड़।
राजहँस, धनेश, गिद्ध,
“जितने पंखवाले कीड़े चार पाँवों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।