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दुष्ट जन उस बवण्डर के समान है, जो गुजरते ही लोप हो जाता है
दुष्ट जन जिस विपत्ति से डरता है, वह उस पर आ पड़ती है,
जैसे दाँत को सिरका, और आँख को धुआँ,