पूरा अध्याय पढ़ें
जब धर्मियों का कल्याण होता है, तब नगर के लोग प्रसन्न होते हैं,
भक्तिहीन जन अपने पड़ोसी को अपने मुँह की बात से बिगाड़ता है,
सीधे लोगों के आशीर्वाद से नगर की बढ़ती होती है,