पूरा अध्याय पढ़ें
जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह घेराव करके तोड़ दी गई हो।
जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं,