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कंगाल प्रजा पर प्रभुता करनेवाला दुष्ट, गरजनेवाले सिंह और घूमनेवाले रीछ के समान है।
जो मनुष्य निरन्तर प्रभु का भय मानता रहता है वह धन्य है;
वह शासक जिसमें समझ की कमी हो, वह बहुत अंधेर करता है;