भजन - Bhajan 14
भजन - Bhajan 14

भजन - Bhajan 14

भगवान को ठुकराने की मूर्खता

भजन 14 में उन लोगों की स्थिति का वर्णन किया गया है जो भगवान को अस्वीकार करते हैं और उनके बिना अपने जीवन का अनुभव करना चुनते हैं। इस अध्याय में इस प्रकार के निर्णय की मूर्खता का चित्रण किया गया है, क्योंकि यह अंततः नाश और निराशा में पहुंचाता है।
1मूर्ख ने अपने मन में कहा है, “कोई परमेश्‍वर है ही नहीं।”
2यहोवा ने स्वर्ग में से मनुष्यों पर दृष्टि की है
3वे सब के सब भटक गए, वे सब भ्रष्ट हो गए;
4क्या किसी अनर्थकारी को कुछ भी ज्ञान नहीं रहता,
5वहाँ उन पर भय छा गया,
6तुम तो दीन की युक्ति की हँसी उड़ाते हो
7भला हो कि इस्राएल का उद्धार सिय्योन से प्रगट होता!