भजन - Bhajan 35
भजन - Bhajan 35

भजन - Bhajan 35

न्याय के लिए एक चिल्लाहट

प्रार्थना सामग्री: प्रार्थना 35 एक साफ़ मांग है कि भगवान की न्याय की सेवा की जाए भक्त के दुश्मनों के खिलाफ। यह उनकी दुष्टता और भक्त की निर्दोषता का काव्यात्मक वर्णन है। भक्त भगवान से अपनी रक्षा करने और अपने दोषी आरोपियों के बारे में सच्चाई का प्रकाश लाने के लिए पुकार कर रहा है।
1हे यहोवा, जो मेरे साथ मुकद्दमा लड़ते हैं,
2ढाल और भाला लेकर मेरी सहायता करने को
3बर्छी को खींच और मेरा पीछा करनेवालों के
4जो मेरे प्राण के ग्राहक हैं
5वे वायु से उड़ जानेवाली भूसी के समान हों,
6उनका मार्ग अंधियारा और फिसलाहा हो,
7क्योंकि अकारण उन्होंने मेरे लिये अपना
8अचानक उन पर विपत्ति आ पड़े!
9परन्तु मैं यहोवा के कारण अपने
10मेरी हड्डी-हड्डी कहेंगी,
11अधर्मी साक्षी खड़े होते हैं;
12वे मुझसे भलाई के बदले बुराई करते हैं,
13जब वे रोगी थे तब तो मैं टाट पहने रहा,
14मैं ऐसी भावना रखता था कि मानो वे मेरे
15परन्तु जब मैं लँगड़ाने लगा तब वे
16आदर के बिना वे मुझे ताना मारते है;
17हे प्रभु, तू कब तक देखता रहेगा?
18मैं बड़ी सभा में तेरा धन्यवाद करूँगा;
19मेरे झूठ बोलनेवाले शत्रु मेरे विरुद्ध
20क्योंकि वे मेल की बातें नहीं बोलते,
21और उन्होंने मेरे विरुद्ध मुँह पसार के कहा;
22हे यहोवा, तूने तो देखा है; चुप न रह!
23उठ, मेरे न्याय के लिये जाग,
24हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा,
25वे मन में न कहने पाएँ,
26जो मेरी हानि से आनन्दित होते हैं
27जो मेरे धर्म से प्रसन्‍न रहते हैं,
28तब मेरे मुँह से तेरे धर्म की चर्चा होगी,