पूरा अध्याय पढ़ें
परन्तु जितने तुझ में शरण लेते हैं वे सब आनन्द करें,
हे परमेश्वर तू उनको दोषी ठहरा;
क्योंकि तू धर्मी को आशीष देगा; हे यहोवा,