भजन - Bhajan 6
संकटकाल में दयाचाह की पुकार
भजन 6 एक दिल से निकली याचना है एक व्यक्ति की जो अपनी मुसीबतों से घिरा महसूस करता है। भजनकर्ता अपने दुःख को विविध चित्रों में व्यक्त करता है, अपनी आंसू, वेदना और शारीरिक कमजोरी का वर्णन करते हुए। हालांकि, उनकी संघर्षों के बावजूद, भजनकर्ता यहाँ भी संविश्वास रखता है कि भगवान उनकी विनती सुनेंगे और उन्हें अपनी पीड़ाओं से मुक्ति देंगे।
1हे यहोवा, तू मुझे अपने क्रोध में न डाँट,
2हे यहोवा, मुझ पर दया कर, क्योंकि मैं कुम्हला गया हूँ;

3मेरा प्राण भी बहुत खेदित है।
4लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा;
5क्योंकि मृत्यु के बाद तेरा स्मरण नहीं होता;
6मैं कराहते-कराहते थक गया;
7मेरी आँखें शोक से बैठी जाती हैं,
8हे सब अनर्थकारियों मेरे पास से दूर हो;
9यहोवा ने मेरा गिड़गिड़ाना सुना है;
10मेरे सब शत्रु लज्जित होंगे और बहुत ही घबराएँगे;